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Showing posts from June, 2020

आप अपने वॉट्सएप मैसेज से ब्लू टिक को कैसे छिपा सकते है।

नमस्कार दोस्तों आज के इस पोस्ट में हम आपको कुछ जरूरी जानकारी देने वाले हूं। कई बार ऐसा होता है।आपके वॉट्सएप में कोई मैसेज करता है । और आप चाहते हैं।की उसे पता भी ना चले और आप मैसेज देख ले। इसके लिए आपको अपने WhatsApp में कुछ सेटिंग करनी होगी।तभी ये संभव है कुछ समय पहले Whatsapp ने ब्लू टिक फीचर पेश किया था जिसके तहत आपके सेंड किये मैसेज को आपका फ्रेंड पढ़ लेता है या देख लेता है तो मैसेज के नीचे ब्लू टिक दिखने लगता है, इस ब्लू टिल को रिमूव करने के आसान सा तरीका बताने वाला हूं ।बस आप वैसे ही फॉलो कीजिए। 1. जैसा इमेज में दिखाई दे रहा है. यहाँ आपको राईट साइड थ्री डॉट का आइकॉन दिखाई देगा आपको इसी पर क्लिक करना है. जैसे ही आप थ्री डॉट पर क्लिक करेंगे आपको नीचे सेटिंग का ऑप्शन दिखाई देगा आपको सेटिंग पर क्लिक करना है. आप इमेज में देख सकते हैं. सेटिंग में जाने के बाद Account पर क्लिक करे. यहाँ आपको कई ऑप्शन दिखाई देंगे आपको सबसे ऊपर Privacy पर क्लिक करना है. Privacy पर क्लिक करते ही आपकी प्राइवेसी से जुड़ी सारी सेटिंग आ जाएँगी. WhatsApp से Blue Tick को Hide करने के लिए आपको इस पेज को नीचे करना ह

वर्चुअल रियलिटी का भविष्य क्या है?

वर्चुअल रियलिटी : एक ऐसी दुनिया जिसमे सब कुछ सच जैसा लगता है, पर है वह कम्प्यूटर द्वारा बनाई गयी एक कृत्रिम दुनिया। इमेज क्रेडिट [1] वर्चुअल रियलिटी को कई छेत्रों के इस्तेमाल किया जा सकता है: सेना की ट्रेनिंग  में कृत्रिम युद्धछेत्र पैदा करके कम समय और लागत में उन्हें ज़्यादा सक्षम बनाया जा सकता है। क्योंकि ये बिल्कुल असली दुनिया जैसा प्रतीत होता है, इसे किसी बुरे अनुभव से होने वाले स्ट्रेस (पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस) से उबरने के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है। भवन निर्माण एवं वस्तु कला  छेत्र में यह अभियंताओं को पूरे निर्माण का गहन अध्ययन करने और उसे पूरे तीन दिशाओं से अनुभव करने का मौका मिलता है। इसकी उपयोगिता यहाँ काम आती है कि दूर बैठे मुख्य अभियंता या निदेशक अपने निर्माण को और प्रभावी ढंग से बना सकते हैं। शिक्षा क्षेत्र  में आपने कई बार विज्ञान के कुछ तथ्यों को समझना मुश्किल पाया होगा। या फिर इतिहास के कुछ दृश्य आपके सामने जीवंत हो जाएं तो। कितना आसान बना सकता है ये शिक्षा के प्रसार को और शिक्षा की गुणवत्ता को। डॉक्टरों के प्रशिक्षण  में भी यह तकनीक बहुत असरकारक हो सकती है। एक समय थ

LTE और VOLTE क्या हैं। और ये काम कैसे करता है

हम रोजाना घंटों का समय इंटरनेट के साथ बिताते हैं। एक तरह से कहें तो इंटरनेट ने हमारी जिंदगी में क्रांतिकारी बदलाव ला दिया है। लकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ये कमाल की तकनीक काम कैसे करती है और इससे जुड़े शब्दों के क्या मतलब हैं? तो आइए समझते हैं मोबाइल की शब्दावली। 4G 4G यानि चौथी पीढ़ी की सेल्युलर नेटवर्क टेक्नोलॉजी। भारत में मौजूद ये फिलहाल अपने तरह का सबसे आधुनिक और तेज नेटवर्क है। 4G टेक्नोलॉजी, 3G के मुकाबले ज्यादा बेहतर है। इसमें ग्राहकों को बेहतर स्पीड और बेहतर कनेक्टिविटी मिलती है। किसी भी नेटवर्क को 4G कहलाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय टेलीकम्युनिकेशन यूनियन (ITU-R) के ग्लोबल स्टैंडर्ड यानि इंटरनेशनल मोबाइल कम्युनिकेशन्स- एडवांस्ड से जुड़े मापदंडों पर खरा उतरना होता है। इन शर्तों को पूरा करने के बाद ही टेलीकॉम ऑपरेटर अपने नेटवर्क को 4G कह सकता है। एक 4G नेटवर्क को कई शर्तों को पूरा करना होता है। इनमें शामिल हैं : ऑल-IP पैकेट स्विच्ड नेटवर्क हाई मोबिलिटी के लिए 100 Mbps की डाटा स्पीड और लो मोबिलिटी के लिए 1 Gbps तक की डाटा स्पीड बिना रुकावट कनेक्टिविटी और ग्लोबल रोमिंग मौजूदा वायरले

अपने एंड्रॉयड स्मार्टफोन से किसी भी एप्प को अपना इंफॉर्मेशन डिलीट किए बिना उसे अन इंस्टाल कर देने से क्या हानि हो सकती है?

ये बिल्कुल वैसा होगा जैसे आपने अपनी अलमारी में से थोड़ा सा सामान अलग निकालकर किसी छोटे बक्से में डालकर ताला लगाकर किसी अन्य जगह पर रख दिया हो, और फिर भविष्य में कभी भी या फिर शायद ही उस डब्बे को आप खोलें। कहने का मतलब यह है कि इसका कोई नुकसान तो नही है पर अपनी निजता को हाशिये पर रखने का कोई लाभ भी नही है, यदि आप किसी प्लेटफॉर्म की ऍप पर अपना खाता बनाकर उस ऍप को अनइंस्टॉल कर देते हैं तो भले ही वो ऍप अब आपके डिवाइस को एक्सेस न कर सके पर उसके पास आपकी लॉगिन एवं अन्य इन्फॉर्मेशन है, जो यदि कभी चोरी हो गयी या किसी के हाथ लग गयी तो भी उसका गलत इस्तेमाल हो सकता है। साथ ही वो ऍप भी आपकी लॉगिन इन्फॉर्मेशन के चलते आपको भविष्य में भी अपने विज्ञापन दिखाएगा, री-टार्गेटिंग करने की कोशिश करेगा। तो इससे अच्छा ये ही होगा कि पहले उस ऍप से अपना खाता डिलीट कर दें ज़्यादातर ऍप के खाते को डिलीट करने के लिए उसकी वेबसाइट पर जाना होता है तो जो भी विकल्प उस ऍप से खाता डिलीट करने का हो उसका इस्तेमाल करें, और यदि आपने गूगल खाते से किसी ऍप को एक्सेस किया था तो फिर फ़ोन की सेटिंग्स में जाकर गूगल के विकल्प पर पहुंचे उस

एंड्रॉयड स्मार्टफोन में OLED और LED screen में के क्या अंतर है

स्क्रीन में बहुत सारे पिक्सेल्स होते है। LED स्क्रीन  (जो वास्तव में  LED-back-lit LCD  होती है ) इसमें स्क्रीन के पिक्सेल्स को रोशन करने के लिए स्क्रीन के पीछे LED लाइट की परत होती है। ये LED बल्ब्स स्क्रीन के पीछे से पिक्सेल्स को रोशन करके स्क्रीन पर चित्र प्रदर्शित करने में मदद करते है। छायाचित्र स्रोत: मेरा फ़ोन OLED ( Organic Light-Emitting Diode)  स्क्रीन: इस तरह की स्क्रीन में स्क्रीन का हरेक पिक्सेल खुद ही एक प्रकाश का स्रोत होते है। उनकी हरेक पिक्सेल  Organic LED  से बने होते है। यहाँ पर चित्र प्रदर्शित करने के लिए स्क्रीन को पीछे से किसी प्रकाश स्रोत द्वारा प्रकाशित करने की जरूरत नहीं पड़ती। जिस पिक्सेल पर जैसा प्रकाश चहिये उसके हिसाब से उस पिक्सेल को, अन्य पिक्सेल को प्रभावित किये बिना, बंद चालू किया जा सकता है। आखिर OLED अच्छा क्यों माना जाता है? क्युकी: OLED का उच्च कंट्रास्ट अनुपात : स्क्रीन में अगर हमें किसी भाग में पूर्ण काला (complete Black ) दिखाना है तो : LED:  इसमें हम स्क्रीन उस भाग के के पीछे वाली LEDs को ऑफ कर देंगे। लेकिन स्क्रीन फिर भी पूर्ण काला नहीं होगा क्युकी

फेसबुक अकाउंट को हैक होने से कैसे बचाएं। और अगर हैक हो गया है।तो पता कैसे करें।

1 .फिशिंग के उपयोग से फेसबुक हैक फेसबुक अकाउंट हैक करने के लिए सबसे अधिक फिशिंग का उपयोग किया जाता है। इसमें एक फेक पेज बनाकर उस व्यक्ति के पास ईमेल के जरिये भेजा जाता है जिसका अकाउंट हैकर्स हैक करना चाहते हैं। जब वो व्यक्ति उस ईमेल में दिए लिंक पर क्लिक करता है तो उसके अकाउंट का यूजरनाम, पासवर्ड और बाकि सारी जानकारी हैकर्स के पास आ जाती है। कैसे बचें फेसबुक फिशिंग से य​दि आप फेसबुक फिशिंग से बचना चाहते हैं तो आपको सबसे पहले स्टेप 1.  ध्यान रखें कि अपना फेसबुक अकाउंट किसी अन्य कंप्यूटर पर लॉगइन न करें।अगर करें तो लॉगआउट करना न भूलें स्टेप 2.  ऐसे ईमेल को अनदेखा करें जो आपको नए टैब में फेसबुक अकाउंट ओपेन करने को कहे। स्टेप 3.  कभी भी स्पेमी लिंक को ओपेन न करें बेशक वो आपके किसी दोस्त द्वारा ही क्यों न भेजा गया हो। स्टेप 4.  हमेशा क्रोम ब्राउजर का ही उपयोग करें क्योंकि क्रोम ब्राउजर फिशिंग पेज को पहचानता है। स्टेप 5.  अपने कंप्यूटर में एंटीवायरस का इस्तेमाल करें। स्टेप 6.  फेसबुक अकाउंट ओपेन करने पर चेक कर लें कि आप फेसबुक डॉट कॉम पर ही हैं, न कि किसी और पेज से अकाउंट ओपेन किया हो। जैसे(

स्मार्टफोन में नए अपडेट क्यों आते हैं

दोस्तों आप सब लोग जानते हैं। कि कंपनियां समय-समय पर सॉफ्टवेयर अपडेट जारी करती रहती हैं, लेकिन आम तौर पर देखा जाए हम लोग इसे इग्नोर कर देते हैं। लेकिन आपको एक बात बताना चाहते हैं कि इसमें कंपनियों का कोई नुकसान नहीं होता है बल्कि हम सबका इसमें नुकसान है। मित्रों सॉफ्टवेयर अपडेट करना बहुत जरूरी होता है क्योंकि हर एक नया वर्जन, पुराने वर्जन से बेहतर और एडवांस होता है इससे फोन या लैपटॉप आदि में आने वाली छोटी-मोटी परेशानियां भी दूर हो जाती हैं। यह डिवाइस की परफॉर्मेंस को भी बेहतर बनाने में हेल्प करता है। इससे फोन में बहुत नए फीचर भी आ जाते हैं सिर्फ इतना ही नहीं समय-समय पर कंपनियां सिक्योरिटी पैच भेजती हैं। जिससे हमारे फोन या डेक्सटॉप का डाटा चोरी ना हो। और ये फोन के लिए अच्छा होता है मै आशा करता हूं कि आपको अच्छे से समझ गए होंगे।

एंड्रॉयड स्मार्टफोन में ज्यादा RAM होने के बाद भी हैंग होने लगते है। और एप्पल में 2GB RAM में ही मोबाइल बहुत अच्छा चलता है। ऐसा क्यों होता हैं

यह प्रश्न आधुनिक स्मार्टफोन उपभोक्ताओं की सबसे आम जिज्ञासा को दर्शाता है। इस प्रश्न का उत्तर एप्पल और एंड्रॉइड के ऑपरेटिंग सिस्टम के आधार में ही छुपा है। कम तकनीकी ज्ञान वाले लोगों को भी इसका कारण समझ आ जाये इसलिए एक साधारण उदाहरण से समझाता हूँ। मान लीजिए आपके पास पानी की दो मोटरें हैं जिनकी ताकत एक जैसी है। आपने एक मोटर में एक पाइप लगाकर उसे चालू कर दिया, और दूसरी मोटर में कुछ जुगाड़ लगाकर 10 पाइप जोड़ दिए हैं। अब एक सामान्य से प्रश्न का उत्तर दीजिए कि कौनसी मोटर के पाइप में पानी की गति सबसे ज्यादा होगी..?? सीधा सा उत्तर है जिस मोटर में एक ही पाइप लगा है उसमें तेज़ पानी आएगा। इस बात को नीचे चित्र में समझने का प्रयास किया गया है।👇 बिल्कुल यही बात इस प्रश्न का उत्तर है। एंड्राइड मोबाइल में हर एप्लीकेशन डेटा ट्रांसफर के लिए खुदका एक कनेक्शन (पाइप) इस्तेमाल करती है। यानी एक समय मे कई एप्लीकेशन एक साथ ही बैकग्राउंड में चलती रहतीं हैं। इसके विपरीत एप्पल के ऑपरेटिंग सिस्टम में डेटा ट्रांसफर के लिए एक ही कनेक्शन का इस्तेमाल होता है। डेटा ट्रांसमिशन के समय एक के बाद एक तरीके से सारे ऍप बारी बारी

ज्ञान जो काम आए।

आजकल ज़्यादातर लोगों के पास स्मार्टफोन और इंटरनेट उपलब्ध है, लेकिन ऐसे बहुत कम ही लोग हैं जिन्हें स्मार्टफोन और इंटरनेट चलाने का सही तरीका पता हो, यही कारण है कि ज़्यादातर लोग इंटरनेट और स्मार्टफोन चलाते समय कुछ ऐसी गलतियां कर देते हैं, जिसके कारण उन्हें काफ़ी ज़्यादा नुकसान उठाना पड़ जाता है, कुछ ऐसी ही गलतियों के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं। आप जब कभी भी किसी भी तरह का या किसी भी कार्य के लिए एप्पलीकेशन इंस्टॉल करते हैं तो ध्यान रखें कि वह एप्पलीकेशन आप केवल और केवल गूगल प्लेस्टोर से ही डाऊनलोड करें या आप आईफोन इस्तेमाल करते हैं तो एप्प स्टोर से एप्पलीकेशन डाऊनलोड करें। इसके अलावा यदि आप कही और से एप्पलीकेशन डाऊनलोड करते हैं तो आपको फाइनांशियल लॉस के साथ साथ आपके प्राइवेसी को भी ख़तरा हो सकता है और बाद में आपके पास पछताने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं होगा। जब कभी भी आप किसी वेबसाइट पर जाते हैं तो उस वेबसाइट के यूआरएल के शुरुआत में http और https का ध्यान आवश्यक रखें। यदि वेबसाइट के यूआरएल के शुरुआत में  https  लिखा हुआ होता है तो वह वेबसाइट पूरी तरह से सुरक्षित माना जाता है।