स्क्रीन में बहुत सारे पिक्सेल्स होते है।
LED स्क्रीन (जो वास्तव में LED-back-lit LCD होती है )
- इसमें स्क्रीन के पिक्सेल्स को रोशन करने के लिए स्क्रीन के पीछे LED लाइट की परत होती है।
- ये LED बल्ब्स स्क्रीन के पीछे से पिक्सेल्स को रोशन करके स्क्रीन पर चित्र प्रदर्शित करने में मदद करते है।
छायाचित्र स्रोत: मेरा फ़ोन
OLED (Organic Light-Emitting Diode) स्क्रीन:
- इस तरह की स्क्रीन में स्क्रीन का हरेक पिक्सेल खुद ही एक प्रकाश का स्रोत होते है। उनकी हरेक पिक्सेल Organic LED से बने होते है।
- यहाँ पर चित्र प्रदर्शित करने के लिए स्क्रीन को पीछे से किसी प्रकाश स्रोत द्वारा प्रकाशित करने की जरूरत नहीं पड़ती।
- जिस पिक्सेल पर जैसा प्रकाश चहिये उसके हिसाब से उस पिक्सेल को, अन्य पिक्सेल को प्रभावित किये बिना, बंद चालू किया जा सकता है।
आखिर OLED अच्छा क्यों माना जाता है?
क्युकी:
OLED का उच्च कंट्रास्ट अनुपात: स्क्रीन में अगर हमें किसी भाग में पूर्ण काला (complete Black ) दिखाना है तो :
- LED: इसमें हम स्क्रीन उस भाग के के पीछे वाली LEDs को ऑफ कर देंगे। लेकिन स्क्रीन फिर भी पूर्ण काला नहीं होगा क्युकी स्क्रीन के उस भाग के कुछ पिक्सेल्स अभी भी दूसरी LEDs से रोशन होता रहेगा। इसलिए LED स्कीन में पूरी तरह से काला नहीं दिखाया जा सकता।
- OLED: स्क्रीन का चूँकि हरेक पिक्सेल का खुद का प्रकाश स्रोत है तो जिस भाग में पूर्ण काला दिखाना है वहां की पिक्सेल्स को बंद किया जा सकता है। उन पिक्सेल के पीछे कोई प्रकाश ला स्रोत नहीं है और इस तरह हम पूर्ण काला देख पाएंगे।
OLED कम पावर खाता है।
- ये नई टेक्नोलॉजी पर बानी है, ये बहुत कम ऊर्जा कहती है, तथा जिस भाग में Black दिखाना होता है वहाँ की हरेक पिक्सेल को बंद किया जा सकता है जो और पावर बचाएगा।
- यानि मान लीजिये आप स्क्रीन पर कोई चित्र देख रहे है, उस चित्र का एक चौथाई भाग काला है तो उस काले भाग वाली स्क्रीन की पिक्सेल ऑफ रहेगी।
फोल्ड की जा सकने वाली स्क्रीन:
- OLED स्क्रीन्स को फोल्ड किया जा सकता है जो एक बहुत अच्छी बात है।
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